
अभी कुछ दिन पहले सूरत आया हूं । जैसा सुना था वैसा ही पाया हूं । मोदी का समर्थक हूं पर अब ये और बढ़ गई । क्या हिदूं या फिर मुस्लमान सभी लोग मोदी के प्रशंसक हैं । और हो भी क्यो ना । मोटा भाई नें काम ही ऐसा किया हैं । लोगों का मानना हैं । यहां तक की मैं भी मान रहा हूं । यहां पर एक सप्ताह बिताने के बाद । भाई रात के ११ बजे भी सूरत में क्या पुरूष क्या महिलाएं सभी लोग बेफ्रिक होके घूमते नजर आते हैं । जो ना दिल्ली में देखा ना हीं लखनऊ में । लेकिन यहां पर देखा । एक आम आदमी के नजरिए से देखे तो ये भी बहुत बड़ी बात हैं रोटी , कपड़ा और मकान के बाद अगर किसी चीज की जरूरत होती हैं तो वो हैं सुरक्षा की। जॉन मास्लो ने भी यही कहा हैं । अपनी हिरारकी थ्योरी में ।
आगे की कहानी ... जारी रहेगी